बंद होने की कगार पर खड़ी जेट एयरवेज को संजीवनी देने के लिए कर्मचारियों की कोशिश जारी है. दरअसल, एयरलाइन के कर्मचारियों ने आने वाले दिनों में 7,000 करोड़ रुपये का फंड जुटाने का दावा किया है. कर्मचारियों के समूह ने एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) को पत्र लिखकर कर्मचारियों और बाहरी निवेशकों के संघ को कंपनी के प्रबंधन नियंत्रण के लिए बोली लगाने की अनुमति मांगी है. बता दें कि वर्तमान में जेट एयरवेज का कंट्रोल एसबीआई की अगुवाई में बैंकों के समूह के पास है.
एयरलाइन की पायलटों-इंजीनियरों का प्रतिनिधित्व करने वाले सोसायटी फॉर वेलफेयर आफ इंडियन पायलट्स (एसडब्ल्यूआईपी) और जेट एयरक्राफ्ट मेनटेनेंस इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन (जेएएमईवीए) ने एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार को पत्र लिखकर एयरलाइन का परिचालन अपने हाथ में लेने का प्रस्ताव किया है. इन यूनियनों का कहना है कि वे एयरलाइन के परिचालन के लिए 7,000 करोड़ रुपये का प्रबंध कर सकती हैं. एसडब्ल्यूआईपी के सदस्यों की संख्या 800 है जबकि जेएएमईवीए के सदस्यों की संख्या करीब 500 है.
यह पहला मौका है जब कर्मचारी 25 साल पुरानी एयरलाइन का परिचालन करने का प्रस्ताव लेकर आए हैं. लेकिन सवाल है कि कर्मचारी कैसे 7 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम कैसे करेंगे. इस पर पत्र में यूनियन ने बताया है कि हमारे शुरुआती अनुमान के अनुसार पांच साल के कर्मचारी शेयर स्वामित्व कार्यक्रम (इसॉप) से आमदनी 4,000 करोड़ रुपये रहेगी. इसके अलावा बाहरी निवेशकों से भी करीब 3,000 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया जा सकता है.
8500 करोड़ का कर्ज
बता दें कि जेट एयरवेज के कर्जदाताओं द्वारा इमरजेंसी फंड उपलब्ध कराये जाने को लेकर हाथ खड़े करने के बाद एयरलाइन ने 17 अप्रैल से अस्थायी तौर पर सेवाओं को बंद कर दिया था. वर्तमान में एयरलाइन 8,500 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में डूबी हुई है. इस वजह से जेट एयरवेज के पायलटों सहित अन्य कर्मचारियों को कई महीनों से सैलरी नहीं रही है. कंपनी में करीब 22,000 कर्मचारी हैं. इनमें करीब 16,000 कर्मचारी कंपनी के पेरोल पर हैं और 6 हजार अनुबंध पर हैं. हालांकि जेट एयरवेज के कर्मचारियों के लिए.