भारत में व्यापार अवसर तलाशने को लेकर अमेरिका की 100 से ज्यादा कंपनियों के प्रतिनिधि देश के कई शहरों की यात्रा पर आए हैं. कंपनियों के प्रतिनिधियों की सोमवार से शुरू हुई यह यात्रा अमेरिकी कॉमर्स मिनिस्ट्री के सालाना व्यापार मिशन कार्यक्रम ट्रेड विंड्स का हिस्सा है. आठ दिन की भारत यात्रा के दौरान प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली के अलावा अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरू, हैदराबाद भी जाएगा और सरकार के शीर्ष नेतृत्व, बाजार विशेषज्ञ और संभावित कारोबारी भागीदारों से मिलेगा.
अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विलबर रॉस ने कहा, ‘दुनिया भर में अपने उत्पाद एवं सेवाएं बेचने वाली अमेरिकी कंपनियों के लिये निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार सुनिश्चित करने के लिये वाणिज्य विभाग में हमारा लक्ष्य हर उपलब्ध संसाधन का इस्तेमाल करना है.' अमेरिकी वाणिज्य विभाग 6 से 11 मई के दौरान 11वें ट्रेड विंड्स बिजनेस फोरम एंड मिशन की मेजबानी कर रहा है. भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर ने कहा कि अमेरिका-भारत की अर्थव्यवस्थाओं का आकार देखते हुए व्यापार में वृद्धि की काफी संभावना है.
इसके पहले यह खबर आई थी कि अमेरिका की करीब 200 कंपनियां अपना मैन्युफैक्चरिंग सेंटर चीन से भारत लाने की तैयारी कर रही है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो लोकसभा चुनावों के बाद भारत में अमेरिकी कंपनियां नौकरियों की बहार लेकर आएगी. इस बारे में अमेरिका और भारत के संबंधों पर पैरवी करने वाले स्वयंसेवी समूह यूएस-इंडिया स्ट्रेटजिक ऐंड पार्टनरशिप फोरम (USISPF) का कहना है कि अमेरिकी कंपनियां चीन की जगह कोई और विकल्प तलाश रही हैं और कंपनियों को लगता है कि मैन्युफैक्चरिंग सेंटर शिफ्ट करने के लिए भारत सबसे उपयुक्त होगा.
बढ़ता व्यापार
गौरतलब है कि साल 2018 के दौरान भारत-अमेरिका के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार करीब 142.1 अरब डॉलर का हुआ था. भारत में अमेरिकी आयात 58.9 अरब डॉलर का और अमेरिका को भारतीय निर्यात 83.2 अरब डॉलर का हुआ था. इस प्रकार भारत से अमेरिका को व्यापार घाटा 24.2 अरब डॉलर का था.
भारत फिलहाल अमेरिका का 9वां सबसे बड़ा वस्तु व्यापार साझेदार है. साल 2018 के दौरान दोनों देशों के बीच 87.5 अरब डॉलर का वस्तु व्यापार हुआ था. भारत से अमेरिका को वस्तु निर्यात 54.4 अरब डॉलर का और भारत में अमेरिका से वस्तु आयात 33.1 अरब डॉलर का हुआ था. इस तरह का भारत से वस्तु में अमेरिका का व्यापार घाटा 21.3 अरब डॉलर का था.
इसी तरह सेवाओं के मामले में देखें तो साल 2018 में दोनों देशों के बीच सर्विसेज यानी सेवाओं का कुल व्यापार 54.6 अरब डॉलर का था. भारत से अमेरिका को सेवाओं का निर्यात 28.8 अरब डॉलर का और अमेरिका से भारत में सेवाओं का आयात 25.8 अरब डॉलर का हुआ. इस तरह सेवाओं के मामले में अमेरिका का व्यापार घाटा करीब 3 अरब डॉलर का था.